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गोबरे गणेश बा इहाँ
अब उहे विशेष बा इहाँ
बा कहाँ इहाँ प आदमी
आदमी के भेष बा इहाँ
जानवर में प्रेम बा मगर
आदमी में द्वेष बा इहाँ
यार तू सँभल-सँभल चलs
डेगे-डेगे ठेस बा इहाँ
जिंदगी अगर हs जेल तs
हर केहू प केस बा इहाँ
बा कहाँ प जिंदगी 'मनोज'
आदमी के रेस बा इहाँ
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