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कविता

गोबरे गणेश बा इहाँ

मनोज भावुक


गोबरे गणेश बा इहाँ
अब उहे विशेष बा इहाँ

बा कहाँ इहाँ प आदमी
आदमी के भेष बा इहाँ

जानवर में प्रेम बा मगर
आदमी में द्वेष बा इहाँ

यार तू सँभल-सँभल चलs
डेगे-डेगे ठेस बा इहाँ

जिंदगी अगर हs जेल तs
हर केहू प केस बा इहाँ

बा कहाँ प जिंदगी 'मनोज'
आदमी के रेस बा इहाँ

 


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